
रुड़की। आईआईटी रुड़की की एक्टिव मैटेरियल्स एवं अल्ट्रासोनिक्स प्रयोगशाला में किए गए शोध ने अनुकूली प्रकाशिकी के क्षेत्र में क्रांति ला दी है।डाइइलेक्ट्रिक इलास्टोमर-आधारित रिफ्लेक्टर ने गतिशील फोकसिंग एवं बीम नियंत्रण का मार्ग प्रशस्त किया है रुड़की, भारत-भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की (आईआईटी रुड़की) अपने पूर्व छात्र कार्तिक कश्यप एवं उनके शोध सहयोगियों की अभूतपूर्व उपलब्धियों की सूचना प्रदान करता है, जो मैकेनिकल एवं औद्योगिक इंजीनियरिंग विभाग में सह-प्रोफेसर मनीष जोगलेकर के मार्गदर्शन में हैं। उनके उन्नत कार्य ने डाइइलेक्ट्रिक इलास्टोमर-आधारित वैरिएबल फोकल लेंथ रिफ्लेक्टर के विकास को जन्म दिया है, जो अनुकूली प्रकाशिकी के क्षेत्र में क्रांति लाने वाली एक अनूठी तकनीक है। कार्तिक कश्यप, जो वर्तमान में ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी में पीएचडी छात्र के रूप में यूएस एयर फोर्स रिसर्च लेबोरेटरी एवं फोर्ड मोटर कंपनी के साथ कार्य कर रहे हैं, ने आईआईटी रुड़की में रहते हुए इस अत्याधुनिक शोध का नेतृत्व किया है। शोध के निष्कर्षों को स्मार्ट मटेरियल्स एंड स्ट्रक्चर्स में रिपोर्ट किया गया है, जो स्मार्ट ट्रांजेक्शन तकनीक के क्षेत्र में उच्च प्रतिष्ठा वाली पत्रिका है। इस काम को भारतीय पेटेंट भी दिया गया है, जो वैज्ञानिक अनुसंधान में नवाचार एवं उत्कृष्टता को बढ़ावा देने के लिए आईआईटी रुड़की की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
डाइइलेक्ट्रिक इलास्टोमर-आधारित वैरिएबल फोकल लेंथ रिफ्लेक्टर सॉफ्ट एडेप्टिव ऑप्टिक्स में एक महत्वपूर्ण प्रगति का प्रतिनिधित्व करता है। यह उन्नत उपकरण उल्लेखनीय संरचनात्मक लचीलापन प्रदर्शित करता है, जो अवतल और उत्तल रिफ्लेक्टर विन्यास दोनों में लागू दबाव के कुशल प्रबंधन की अनुमति देता है। इसके अलावा, विद्युत क्षमता के समायोजन के माध्यम से वक्रता पर इसका गतिशील नियंत्रण फोकल लंबाई की सटीक ट्यूनिंग को सक्षम बनाता है, जो इसे ऑप्टिकल सिस्टम में गतिशील फ़ोकसिंग या बीम हेरफेर की आवश्यकता वाले अनुप्रयोगों के लिए आदर्श बनाता है।
इस शोध का एक उल्लेखनीय पहलू डाइइलेक्ट्रिक झिल्ली पर चांदी की धातु को छिड़ककर परावर्तक झिल्ली का निर्माण करना है। यह विधि परावर्तक सतह को आकार देने में बेहतर नियंत्रण एवं सटीकता प्रदान करती है। आईआईटी रुड़की के इंस्टीट्यूट इंस्ट्रूमेंटेशन सेंटर के प्रोफेसर रमेश चंद्र ने इस सहयोगात्मक शोध में अमूल्य सहायता प्रदान की। प्रोफेसर मनीष जोगलेकर के नेतृत्व में सक्रिय सामग्री एवं अल्ट्रासोनिक्स प्रयोगशाला में नरम न्यूनतम ऊर्जा संरचनाओं, बायोमिमेटिक फ़्लैपिंग विंग्स एवं नियंत्रण सतहों से संबंधित कई नवीन तकनीकों की जांच और परीक्षण सफलतापूर्वक किया गया है। परिवर्तनशील फ़ोकल लंबाई वक्रता पर शोध को भारत सरकार के विज्ञान एवं इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड द्वारा वित्तीय सहायता दी गई थी। इस शोध में शामिल टीम के अन्य सदस्यों में डॉ. नितेश अरोड़ा, डॉ. अजय कुमार, डॉ. प्रमोद कुमार, श्री चिन्मय जीवनी, श्री यमनेश अग्रवाल और प्रो. अतुल शर्मा (आईआईटीजे) शामिल हैं; ये सभी संस्थान और प्रयोगशाला के पूर्व छात्र हैं। आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रो. के.के. पंत ने कहा, "आईआईटी रुड़की में हम नवाचार एवं उत्कृष्टता की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। डाइइलेक्ट्रिक इलास्टोमेर-आधारित वैरिएबल फोकल लेंथ रिफ्लेक्टर पर कार्तिक कश्यप और उनकी टीम के नेतृत्व में किया गया अभूतपूर्व शोध वैज्ञानिक ज्ञान की सीमाओं को आगे बढ़ाने के लिए हमारे समर्पण का उदाहरण है। अनुकूली प्रकाशिकी में यह क्रांतिकारी प्रगति न केवल हमारे शोधकर्ताओं की सरलता को प्रदर्शित करती है, बल्कि हमारे संस्थान की सहयोगी भावना एवं अत्याधुनिक क्षमताओं को भी उजागर करती है। हमें उनकी उपलब्धियों पर गर्व है और हमें विश्वास है कि उनके काम का प्रकाशिकी के क्षेत्र और उससे परे स्थायी प्रभाव पड़ेगा।
कार्तिक कश्यप और उनकी टीम द्वारा प्राप्त की गई उन्नत सफलता वैज्ञानिक ज्ञान की सीमाओं को आगे बढ़ाने और समाज पर इसके प्रभाव के प्रति आईआईटी रुड़की की प्रतिबद्धता का उदाहरण है। संस्थान प्रतिभाओं को पोषित करने, नवाचार की संस्कृति को बढ़ावा देने और प्रौद्योगिकी के भविष्य को आकार देने में गर्व महसूस करता है।