यादगार रहा डीएम हरिद्वार धीराज सिंह गर्ब्याल का कार्यकाल

 

हरिद्वार चौबीसों घंटे जनता के लिए खुले रहे द्वार, जनता के डीएम बनकर यादगार बनाया कार्यकाल, कई ऐतिहासिक कार्य हुए। सवा साल तक जिले की कमान संभालकर आईएएस धीराज सिंह गर्ब्याल अपनी बेहतरीन कार्यशैली से हर किसी पर अपनी अमिट छाप छोड़ गए। हरिद्वार दिल्ली हाईवे के निर्माण में बाधा बने दो धर्मस्थल अपनी सूझबूझ से हटवाए, जो एक दशक से अधिक समय से हाईवे निर्माण में बाधा बने हुए थे। यही नहीं जिले के कई हजार अनुसूचित जाति के परिवारों के भूमि बेचने के बाद दाखिल खारिज में आ रही अड़चन को दूर कर उन्हें लाभ पहुंचाया, जिसे लेकर कई हजार परिवार पिछले कई साल से जिलाधिकारी कार्यालय पर एड़ियां रगड़ रहे थे। अपने मृदुभाषी व्यवहार से लेकर बेबाक अंदाज के साथ साथ दिनभर में अपने कार्यालय में बिना रोकटोक फरियादियों के बीच लंबा वक्त गुजारने वाले जिलाधिकारी के तौर पर वे याद किए जाएंगे। पिछले साल मई माह में नैनीताल के डीएम रहे आईएएस धीराज सिंह गर्ब्याल का तबादला हरिद्वार के जिलाधिकारी के तौर पर हुआ था। जिलाधिकारी की कुर्सी संभालने के बाद से ही वे दून में बैठे कई अधिकारियों के निशाने पर थे लेकिन अपनी बेहतरीन कार्यशैली के चलते वे डिगे नहीं बल्कि हरिद्वार की सूरत संवारने में जुट गए।


कुंभनगरी के ड्रैनेज प्लॉन को अमलीजामा पहनाया, जल्द ही उनके प्लॉन का असर शहर में दिखाई देना तय है। नगर निगम के बहुददेशीय भवन की नींव रखी, जो केवल अरसे से केवल कागजों में ही सिमटा हुआ था। विश्न प्रसिद्ध हरकी पैड़ी के सौंद्रीर्यीकरण के साथ साथ चौकी को भी शिफ्ट करने की दिशा में पहल की। रोड़ीबेलवाला मैदान को पार्किंग में तब्दील किया, जिसका फायदा यह हुआ कि खुले में शौच से इलाका मुक्त हुआ। यही नहीं हाईवे से भददे दिखाई देने वाले स्थान की सूरत बदल दी, पर यह प्रोजेक्ट लगभग पूरा होने के बाद हाईकोर्ट में दाखिल याचिका से फिलहाल अटक गया है। हरिद्वार ऋषिकेश पर बने केबिल पुल के दूधिया रोशनी से जगमगा उठने के पीछे भी उन्हीं का ही दिमाग रहा, जिससे कुंभनगरी की साज सज्जा देखते ही बनती है। टिहरी विस्थापित परिवारों को भूमिधरी अधिकार दिलाने के लिए शासन में उनकी हक हकूक की बात रखी लेकिन इसी बीच उनका तबादला हो गया। मनसा देवी की पहाड़ी का ट्रीटमेंट प्लॉन बनाया। बकायदा चार करोड़ की रकम भी जारी करवाई, इसके साथ साथ विस्तृत ट्रीटमेंट के लिए एक्सपर्ट की टीमों की राय लेकर उसका भी खाका खींचा, जिसके बाद उसे मंजूरी के लिए शासन भेज दिया।