पैगंबर मोहम्मद साहब की शान में अपमानजनक टिप्पणी पर कार्रवाई की मांग

 

पिरान कलियर।  पैगम्बर मोहम्मद साहब के खिलाफ दिए गए आपत्तिजनक बयान को लेकर मुस्लिम समुदाय में रोष है। जूमे की नमाज के बाद मुस्लिम समुदाय के लोगो ने विरोध दर्ज कराते हुए महामहिम राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन और पुलिस को तहरीर देकर कार्यवाही की मांग की हैं। इसके अलावा मुस्लिम समुदाय के लोगो ने डासना देवी मंदिर के महंत यति नरसिंहानंद सरस्वती के खिलाफ शिकायती पत्र देते हुए कड़ी कार्यवाही की मांग की हैं। इस्लाम के पैगंबर मोहम्मद साहब की शान में गुस्ताखी का एक ओर नया मामला सामने आया हैं। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो के आधार पर डासना मंदिर के पुजारी महंत यति नरसिंहानंद सरस्वती ने भरे मंच से एक बार फिर से पैगंबर मोहम्मद साहब ("नबी") को लेकर गलत टिप्पणी की हैं। 

जिसको लेकर देशभर के मुस्लिम समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंची है। वही हरिद्वार जिले के पिरान कलियर में जुमे की नमाज के बाद मुस्लिम समुदाय के लोगो एकत्रित होकर कलियर पुलिस  को महामहिम राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन और पुलिस को तहरीर सौंपकर कार्यवाही की मांग की हैं। वही नगरवासियों ने कई जिम्मेदार लोगो ने बताया कि यती नरसिंहानंद नफरत फैलाने वाला व्यक्ति है, जो बार-बार इस्लाम और मुसलमानों के खिलाफ ज़हर उगलता रहा है। लेकिन इस बार उसने सभी हदें पार कर दी हैं, जिन्हें किसी भी स्थिति में नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। 

उन्होंने बताया कि यह बयान न केवल मुसलमानों की भावनाओं का अपमान है, बल्कि यह एक सोची-समझी योजना के तहत सांप्रदायिक तनाव फैलाने की कोशिश है, जो देश की शांति और स्थिरता को प्रभावित कर सकती है। उन्होंने कहा कि नफरती भाषण देने वालो को फांसी दे देनी चाहिए।

जानें कौन हैं नरसिंहानंद सरस्वती?

अक्सर अपने बयानों के कारण विवादों में रहने वाले डासना मंदिर के यति नरसिंहानंद सरस्वती एक महंत हैं। साल 2022 में हरिद्वार में धर्म संसद में धर्मविशेष के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने का मामला प्रकाश में आया था। इसे लेकर लोगों में काफी विवाद मचा हुआ था, हेट स्पीच मामले में पुलिस ने केस दर्जकर महंत यति नरसिंहानंद सरस्वती और वसीम रिजवी को जेल भेज दिया था इसके बाद कोर्ट ने उनको कुछ शर्तो के साथ जमानत दे दी थी। लेकिन एक बार फिर से महंत यति नरसिंहानंद सरस्वती ने जमानत की शर्तों का उल्लंघन करते हुए एक नफरती बयान दिया है। जिसको लेकर मुस्लिम समुदाय के भारी रोष हैं।